साहित्य
-
‘‘पितृपक्ष’’ प्रवीण कुमार पाठक की कविता
मोक्ष एवं ज्ञान की नगरी गयाजी धाम में हो रहे पितृपक्ष मेले में सहयोग कर रहे लोगों एवं तीर्थयात्रियों को समर्पित।(लेखक गयाजी धाम के ... -
कविता : शान है तिरंगा हर घर में लहराएगा
संध्या त्रिपाठी, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)हम भारत की संतान हैं भारत की गाथा गाएंगे।केसरिया, सफेद, हरा, तिरंगा झंडा फहराएंगे।।वतन के वास्ते शहीद हुए शत-शत उन्हें ... -
साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी. आज़ाद की कविता ‘‘चोरी-चोरी ,छुपके-छुपके’’
क्यों ऐसी क्या बात हुई, यहाँ कैसे मिले हम चलकर।छोड़ चमन क्यों ऐसे कहाँ, अब चल दिये पँछी बनकर।चोरी चोरी छुपके छुपके (2)क्यों ऐसी ... -
शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी. आज़ाद की कविता ‘सच तो यह है’
जैसे कि धमाके की आवाज,जो हुई है अभी मेरे पड़ौस में,बेचौन हो गया हूँ इस आवाज से,इस आशंका से यह सोचकर,कि खत्म तो नहीं ... -
शरत से वसंत तक बहुचर्चित नाटक का मंचन
अ.भा. संवाद सूत्र : पटनापटना : कला के माध्यम से सामाजिक चेतना के लिए प्रतिबद्ध संस्था अहसास कलाकृति अपने रजत जयंती के अवसर पर ... -
And Life goes on…
Poem Anshu Kumari, Dhanbad Each crossing moments,with every going flow. blending itself ,all the colours of life,just like a dissolved colours of the bow. ... -
हे नारी तू सब पे भारी
अंशु कुमारी, धनबादहे नारी तू सब पे भारीतू एक है,फिर भी अनेक है।तू आरम्भ है,तू ही अंत है।तू दुर्गा, तू ही काली,तू ही ममता ... -
‘शब्दाक्षर’ जिला संगठन, गया का गठन किया गया
गया संवाददाताबिहार के गया शहर में ‘शब्दाक्षर’ जिला संगठन गया का गठन किया गया। जिसमें गया जिला में संगठन को मजबूत करने के लिए ... -
कर रहे विध्वंस हो निर्माण कैसे मान लूं मैं
डॉक्टर विवेकानंद मिश्र, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा छीन कर तू हक हमारे नित नए सपने दिखाते। कर सकोगे स्वप्न को साकार कैसे ... -
कवि गोलेन्द्र पटेल की कविता “ईर्ष्या की खेती”
गोलेन्द्र पटेल मिट्टी के मिठास को सोखजिद के ज़मीन परउगी हैइच्छाओं के ईख खेत मेंचुपचाप चेफा छिल रही हैचरित्रऔर चुह रही हैईर्ष्या छिलके परमक्खियाँ ...
क्या हमारे पास हमारे लिए समय है ?
पंडुई : गौरवशाली अतित का एक विरासत
08 मई 2022 रविवार को सूर्याेदय से दोपहर 02ः58 मिनट तक रविपुष्यमृत योग
अप्रशिक्षित शिक्षकों ने डीईओ गया से वेतन भुगतान की लगाई गुहार
शाकद्वीप: शक संबत और मध्य एशिया