ऋषि दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के महान चिंतक थे : विवेकानंद मिश्र

गया से बृज भूषण पाण्डेय की रिपोर्ट
स्थानीय डॉक्टर विवेकानंद पथ, गोल बगीचा में भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच द्वारा स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जन्म जयंती आभासीय बैठक कर मनाई गई। इस मौके पर विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े महासभा एवं मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर विवेकानंद मिश्र ने बैठक का शुभारंभ करते हुए कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आकाश के देदीप्यमान नक्षत्र, स्वतंत्र राष्ट्रीय आंदोलन यज्ञ के प्रचंड ज्वाला थे। जिन्होंने पराधीनता के विरुद्ध संघर्ष की प्रेरणा प्रवाहित की। उन्होंने वैदिक उक्ति ‘‘माता भूमि पुत्रोंहंपृथिव्या“ के भाव को जनमानस में उतारकर मातृ भक्ति की प्रेरणा दी। समाज में व्याप्त कुरीतियों के दुष्परिणाम से अवगत कराकर राष्ट्र को सशक्त और मजबूत आधार प्रदान किया।
मुख्य अतिथि महासभा एवं मंच के संरक्षक आचार्य बल्लभ जी महाराज ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने रूढ़ी ग्रस्त समाज को अंधकार से प्रकाश की ओर चलने के लिए प्रेरित कर सनातन के शाश्वत सिद्धांत को परिपुष्ट किया। सभा की अध्यक्षता कर रहे महासभा एवं मंच के संरक्षक बिहार के जाने-माने साहित्यकार आचार्य राधामोहन मिश्र माधव ने कहा ऋषि दयानंद सरस्वती ने अंधविश्वास एवं पाखंड से आवृत्त देशवासियों को वैदिक ज्ञान के परिपेक्ष में एक नए और परिष्कृत जीवनशैली का आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने नारा दिया ‘‘कृण्वंतो विश्वमार्यम्।’’
मगध विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, शिक्षाविद डॉ उमेश चंद्र मिश्र शिव ने कहा कि स्वामीजी ने युवाओं में राष्ट्रीय स्वाभिमान की भावना को जगा कर राष्ट्रीयता की प्रचंड ज्वाला का श्री गणेश करने वाले आधुनिक भारत के महान ऋषि थे। ऑल इंडिया जूलॉजी साइंस कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर बी एन पांडे ने कहा भारतवर्ष में राष्ट्रीयता वैदिक संस्कृति की कोख से ही उत्पन्न हुई है, और स्वामी जी जैसे महान चिंतक को राष्ट्र कल्याण के लिए जन्म देती है। ज्योतिष शिक्षा शोध संस्थान के निदेशक डॉक्टर ज्ञानेश भारद्वाज अधिवक्ता ने कहा कि स्वामी जी का विचार कालजई है, शाश्वत है। परिस्थितिबस धूमिल तो हो सकता है, परंतु विनष्ट नहीं हो सकता। प्रसिद्ध कवि साहित्यकार डॉ राम सिंहासन सिंह ने कहा कि आज उनके विचारों को जीवंत करना खासकर युवाओं के लिए चुनौती है। इसे स्वीकार करना राष्ट्रके व्यापक हित में होगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लेने वाले लोगों में संत गोपालाचार्य, आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज गया के पूर्व प्राचार्य डॉ रामेश्वर त्रिपाठी, डॉक्टर चंद्रशेखर मिश्र, प्रोफ़ेसर अशोक कुमार यादव, सिद्धनाथ मिश्र, महासभा एवं मंच के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर अशोक शर्मा, पंडित धनेश चंद्र पाठक, वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम शर्मा, पंडित बालमुकुंद मिश्रा, अरुण शास्त्री मधुप, डॉक्टर संपूर्णानंद मिश्रा, डॉ प्रमोद मिश्र, प्रोफेसर रीना सिंह, रवि भूषण पाठक, अजीत मिश्रा, गजाधर लाल कटरियार, रूपम, नीलम कुमारी, नीरज कुमार, जितेंद्र ठाकुर, पूजा कुमारी, धीरज कुमार, डॉक्टर मंटू मिश्रा, रंजीत पाठक, गजाधर लाल पाठक, पंडित निशीकांत मिश्रा, प्रोफेसर भूपाल प्रसाद, सुनीता कुमारी, डॉक्टर छोटे बाबू, सुनील कुमार मिश्रा, विश्वजीत चक्रवर्ती, केशव लाल भैया, किरण पाठक, ममता गुप्ता, मधु मीणा, अशोक कुमार दास, वैष्णवी, शंभू गिरी, मांडवी, ऋषिकेश गुर्दा, पवन मिश्रा, पियूषा गुप्ता, देवेंद्र नाथ मिश्र, कविता, राम भजन दास, निरंजन कुमार, अमित गोस्वामी, कुंदन कुमार मिश्रा, वीणा देवी, डॉक्टर शीवा, फातमा, रवि भूषण भट्ट, आनंद पाठक, विनय लाल टाटक, अधिवक्ता शुभम पाठक, दीपक पाठक, अपरिता मिश्रा, अविनाश कुमार, अधिवक्ता फूल कुमारी, अच्युत अनंत मराठे, प्रेरणा मराठे, रीना पांडेय, रेशमा परवीन, शांति रजक, सुमन देवी, रीता पाठक, डॉक्टर मृदुला मिश्रा, अमरेंद्र तिवारी, मुन्ना दुबे, कविता रावत, प्रेमलता गिरी, आनन्द पाठक आदि।
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