होम्योपैथी के चरक डॉ बी भट्टाचार्य अनन्तलोक के लिए महाप्रयाण कर गए

अ. भा. संवाद सूत्र : पटना
डॉ. बी. भट्टाचार्य बिहार में होम्योपैथी चिकित्सीय जगत के आचार्य चरक। आज प्रातः 7ः30 बजे 97 वर्ष की उम्र में अनन्तलोक के लिए महाप्रयाण कर गए। पीछे छोड़ गए कुछ कभी न मिटने वाली तराशी गयी कुछ लकीरें। पटना में 1950 के दशक में बिना फीस के उन्होंने अपने चिकित्सीय सेवा की शुरुआत राजापुर पुल के पास से किया था। तत्पश्चात पटना के कदमकुआं इलाके में मात्र 2 रुपये की फीस पर लोगों का इलाज करते रहे। सुबह 5 बजे क्लिनिक में बैठते और रात 11 बजे तक मरीज देखते रहते थे। सन् 1972 में वे पटना के पटेल नगर आये, और तब से लंबे समय तक डॉ. बी. भट्टाचार्या के नाम से पटेल नगर का इलाका जाना जाने लगा। बिहार ही नहीं, दूसरे सूदूरवर्ती इलाकों और राज्यों से भी लोग कई असाध्य माने जाने वाले रोगों के इलाज के लिए उनके पास आते थे। यह सिलसिला 2021 तक चलता रहा। अपॉइंटमेंट की लाइन और कतार इतनी बड़ी होती थी कि कहा जाता है रात 2 बजे से ही मरीज या परिजन अपने नाम की ईंट लगाकर अपने समय का इंतज़ार करते रहते थे। उनके साथ काफी समय तक सहयोगी रहे उनके शिष्य और वर्तमान में होम्योपैथी के बड़े नाम डॉ. आर. सी. पाल बताते हैं कि आज उन्होंने अपने पिता तुल्य गुरु को खो दिया है। सिर्फ वो नहीं, डॉ. बाबू ने कम से कम 20 से 25 लोगों को सफल होम्योपैथी की शिक्षा दी। निःस्वार्थ सफल डॉक्टर बनाया। ऐसे लोग प्रभु प्रदत्त होते हैं, निष्काम, निःस्वार्थ मानव सेवा ही इनका जीवन लक्ष्य होता है।
राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कला संस्कृति पुरुष विश्वमोहन चौधरी सन्त उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा डॉक्टर बी.भट्टाचार्य जिन्होंने गरीब दलित और हर लोगों को सेवा देकर असाध्य से असाध्य रोगों का इलाज करने में सफल रहे। आज निर्धन और गरीब लोगों मंे काफी शोक व्याप्त है।
चिर शांति प्रार्थना। ॐ शांतिः।।
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