जातीय जनगणना और नीतीश कुमार…

कार्यालय संवाददाता जान्वी सिन्हा
जनतांत्रिक लोकहित पार्टी हमेशा से मानती आई है कि जातीय जनगणना एक संविधान सम्मत विषय है। वर्तमान में जातीय शोषण, जातीय अहंकार, जातिगत सामाजिक संगठनों की बढ़ोतरी के माहौल में जातीय जनगणना अति आवश्यक पहलू हो गया है, लेकिन हमारी पार्टी जातीय जनगणना के आंदोलन के प्रति सचेत एवं सजग है और आंदोलन का भटकाव जातीय जनगणना के नाम पर राजनीतिक दबाव की लॉबी को समझ रही है।

रा. अध्यक्ष लोकतांत्रिक पार्टी
इस देश मे मंडल कमीशन की लड़ाई नेतृत्व विहीन हुई और हिंदी पट्टी के वर्तमान सत्ता एवं विपक्ष के नेताओं ने उठाया। जलोपा यह समझती है कि मंडल कमीशन के आरक्षण को लागू होने में, उस आंदोलन से लाभ कमाने वाले नेताओं ने कांशीराम और देवीलाल जी के महत्व को नकार दिया और तत्कालीन प्रधानमंत्री वी पी सिंह को मंडल मसीहा के रूप में प्रस्तुत किया। जिस प्रकार जातीय जनगणना के कॉन्सेप्ट भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के कैबिनेट प्रस्ताव का संकल्प है। एच डी देवगौड़ा के बाद कई लोग भारत के प्रधानमंत्री बने जिसमे कांग्रेस भी है जो अब BJP का विकल्प बनने की नियति से जातीय जनगणना के रोना रो रही है। जातीय जनगणना पर कांग्रेस के घड़ियाली आँसू को देश की जनता को समझना होगा। ठीक उसी प्रकार तथाकथित मंडल मसीहा वी पी सिंह बनने के फिराक में भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी अपने सहयोगी दलों से जातीय जनगणना के आंदोलन करवा रहे हैं और इसमें खुद वैशाखी के सहारे बने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार अग्रणी भूमिका में हैं।
पिछले सालों में नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य बनाए जाने के मुद्दे पर सर्वदलीय आन्दोलन किया और उस आंदोलन का क्या हुआ, यह वर्तमान राजनीतिज्ञों को समझना चाहिए। वैसे भी इनके नेता मोदी जी अपने मंत्रिमंडल की दुहाई देते हैं कि हमारे मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा OBC मंत्री हैं तो पिछलग्गू मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय जनगणना के आंदोलन की अगुवाई क्यों नही करेंगे..???
जनतांत्रिक लोकहित पार्टी यह समझती है कि जाति आध्यात्मिक विषय है। जाति में स्वाभिमान होना ही चाहिए लेकिन अहंकार कतई नही। वैसे भी जातीय जनगणना के नाम पर अगर भावनात्मक संवेदना पैदा कर जेपी लोहिया के मानस पुत्र समाज मे केवल विद्वेष ही पैदा करना चाहते हैं। जातीय जनगणना के पक्षधर लोगो को ऐसे नेताओं से परहेज़ करना चाहिए।
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