कवि आनंद कौशल ‘आन’ की कविता

कवि आनंद कौशल ‘आन’
लो दौलत लश्कर राजपाट
हमको किंचित दरकार नही
अगर इच्छा हो तो चातक बनकर
सब कुछ ले लो इनकार नही
नख से शिख तक लो त्वचा खींच
ये हमको है स्वीकार्य मगर
है कसम राम और शंकर की
हमको चुप्पी स्वीकार नही……..!
देश के नेताओं सुन लो
क्यूँ देश मे आग लगाते हो
निजीकरण प्रस्तावों को
स्वीकार्य नही सरमाते हो
सोने की चिड़िया है भारत
इसको लूटो न भाव करो
जनता है भूंखी बेचारी कुछ
तो उसकी परवाह करो
है त्राहि त्राहि भू पर इतनी
ललनाएँ फूँकी जाती हैं
तुम बैठे स्वर्ण सिंघासन पे
तुम्हे लाज तनिक नही आती है
है इज़्ज़त लुटती दिन प्रतिदिन
भारत माँ की अवलादों की
होते हैं खून करोड़ो यहाँ
भारत माँ की आशाओं की
जीडीपी की है टाँग तोड़ दी
शिक्षा का स्तर गिरा दिया
युवाओं का जीवन गर्त हुआ
कृषकों को है फटेहाल किया
मंहगाई की है तेज़ धार कैसे
गरीब कोई पेट भरे
हमने देखा लाखों बच्चे
भारत मे भूंखे पेट मरे
नही हटी गरीबी मगर
गरीबों को शीघ्र हटाते हो
निजीकरण प्रस्तावों को
स्वीकार्य नही सरमाते हो।।
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बहुत खूब शानदार कविता