कवि विषधर शंकर की प्यार और वेदना से भरी गजल

गजल
हम तेरे शहर में आये हैं, तेरी वेवफाई के बाद।
नजरें थी झूकी-झूकी, तेरी बेहयाई के बाद।।
क्या कसूर किया था मैने ,जो रूसवा किया।
स्याही से लिखा था मैने तुझे, स्याही के बाद।।
वक्त रूक-सा गया है मेरा, तेरे बिना ऐ दिल।
मैं करवटें बदलता रहा ताउम्र, तेरी अंगड़ाई के बाद।।
सोचा न था कभी ऐसा भी दिन आयेगा।
क्या-क्या न किया तुमने, हरजाई के बाद।।
तेरे जुल्फों के साये में हम पडे़ रहते थे।
तेरी परछाई थी कभी जमीं पर, मेरी परछाई के बाद।।
हमें छलते रहे सदा, भीतर ही भीतर हम जलते भी रहे।
देखा है मैने तेरी जवानी के तेवर, सगाई के बाद।।
अब जो हुआ सो हुआ ’शंकर’ अच्छा ही हुआ।
काश! हम तुझे भूल पाते, तेरी जुदाई के बाद।।
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