महर्षि परशुराम ने पापियों का वध कर ही रामराज्य का मार्ग प्रशस्त किया : आचार्य बल्लभ

अ. कुं. संवाद सूत्र
Gaya : जिन्हें मानवता को समझना है उन्हें महर्षि परशुराम के लोक हितकारी भावना, चिंतन, विचार को समझना होगा। यह उद्गार है सनातन धर्म रक्षक भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के संरक्षक वृंदावन बल्लभ धाम पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य बल्लभ जी महाराज का। उन्होंने आगे कहा कि त्रेतायुग में महर्षि ने सत्प्रवृत्तिवादियों को संगठित एवं एकत्र कर दुष्ट प्रवृत्तिवादियों को जड़-मूल से उखाड़ फेंककर और सत्ता का हस्तांतरण मानवता के व्यापक हित में करके ही रामराज्य की संस्थापना की पृष्ठभूमि बनाई थी।
इस आभासीय बैठक में भाग लेने वाले महासभा एवं मंच के संरक्षक बिहार के जाने-माने साहित्यकार, कवि आचार्य राधा मोहन मिश्र माधव ने कहा कि महर्षि परशुराम मानवता के रक्षक, कल्याणकारी, उद्भट्ट पराक्रमी एवं युगांतरकारी महर्षि थे जिनमें द्विविध बल-पौरुष था :-
अग्रतः चतुरोवेदाः
शापादपि शरादपि।

प्रसिद्ध शिक्षाविद प्रोफेसर उमेश चंद्र मिश्र शिव ने कहा की मानवतावादियों को, राष्ट्र वादियों को, संगठित कर एकजुट कर ही अब धर्म और धरती के साथ मानवता की रक्षा करना संभव हो सकेगा।
ऑल इंडिया जियोलॉजी साइंस कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर बी एन पांडेय, सिद्ध नाथ मिश्रा महासभा, मंच के संरक्षक प्रसिद्ध व्यवसाई शिवचरण डालमिया, साहित्यकार पूर्व प्राचार्य डॉ राम सिंहासन सिंह, डॉक्टर चंद्रशेखर मिश्र, आचार्य अरुण शास्त्री मधुप, वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम शर्मा इंजीनियर अशोक कुमार शर्मा आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज गया के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ रामेश्वर त्रिपाठी, सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ अरविंद तिवारी, सुनील कुमार मिश्रा, शंभु गिरी, अनंत मराठे विश्वजीत चक्रवर्ती प्रो. भूपाल रजक डॉ. मंटू मिश्रा, रवि भूषण भट्ट, शारदा साहिबा, प्रियंका सविता चतुर्वेदी, राम भजन दास देव कुमार ठाकुर तुषार राज मनीष मिश्रा डॉक्टर ज्ञानेश मिश्र भारद्वाज दीपक पाठक अधिवक्ता प्रो. अशोक कुमार सिंह, गुप्तेश्वर ठाकु, प्रसिद्ध रामज्ञान सिंह, रणजीत पाठक, पवन मिश्रा, पियूष, पुष्पा गुप्ता, विनोद कुमार उपाध्याय, नीलम कुमारी, रवि कुमार, वैष्णवी मांडवी गुर्दा, अंजना गुर्दा शंभू बाबू फूल कुमारी यादव आदि सम्मिलित हुए।
आभासी बैठक की अध्यक्षता विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ एवं कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर विवेकानंद मिश्र ने की। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज महर्षि परशुराम की प्रासंगिकता पहले से भी अधिक बढ़ गई है, क्योंकि आज भारत ही नहीं विश्व आतंकवाद की भीषण अग्नि में पूरी तरह झुलस रहा है, तड़प रहा है। इसके क्रूर एवं निर्दय बाहपाश में जकड़ कर छटपटा रहा है । आतंक, लूटपाट, हिंसा, अपहरण और कत्लेआम से हाहाकार मचा हुआ है । यह वीभत्स एवं हृदय विदारक संहार पुण: उस परशुराम युग की याद दिलाकर हमें यह विश्वास दिलाता है कि इस आतंकवाद रूपी दानव को सत्तावादी दानव नहीं मिटा पाएंगे। एकमात्र विकल्प है कि महर्षि परशुराम से प्रेरणा लेकर हमें वैचारिक क्रांति के पथ पर अग्रसर होकर दुष्टों को जड़ मूल से उखाड़ फेंकना होगा होगा।
धन्यवाद ज्ञापन झारखंड प्रदेश महासभा मंच एवं मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के सचिव प्रसिद्ध समाजसेवी अपराजिता मिश्रा ने किया।
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