संत रविदास जी से आज के युवाओं को प्रेरणा लेने की आवश्यकता : विवेकानंद

गया से ब्रज भूषण पाण्डेय की रिपोर्ट
विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर विवेकानंद मिश्र ने संत रविदास जी की जयंती के अवसर पर अपनी उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि रविदास जी ने कर्म को ही धर्म मानकर अपनी संपूर्ण जीवन समाज सुधार में अर्पित कर दिया। किंतु पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन में भी अपनी आम भूमिका को कभी नहीं छोड़ा। उनके द्वारा दिए गए कालजयी उपदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जो बिना भेदभाव के आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी थी। संत रामानंद जी महाराज के सानिध्य में अपनी सेवा, साधना, तपस्या के माध्यम से सिद्धि प्राप्त कर मानवता का कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले महान संतों की श्रेणी में रविदास जी का नाम अमर है। यही कारण है कि उनके दर्शन और उच्च विचार सदा ही प्रासंगिक हैं। रविदास जी न्याय समानता और सेवा पर आधारित उनके समस्त विचारों का भाव उनके मानवीय मूल्यों से खासकर आज के युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। आज राष्ट्र तभी नई ऊंचाइयों को छू सकता है। मानवता का कल्याण संभव है।
बताते चलें कि राजपुर धर्मशाला सेवाधाम पथ स्थित हरि अनंत सेवा धाम के प्रांगण में रविदास जयंती मनाई गई। उपस्थित लोगों ने उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके चरणों पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। तथा उनके बताए मार्ग का अनुसरण करने के लिए संकल्प लिया। उपस्थित प्रमुख लोगों में कईल दास, शंकर दास, मनोरमा देवी, राहुल दास, नवरंगी दास, सरवन कुमार, अरविंद कुमार, गुप्तेश्वर ठाकुर, सोना देवी, किरण पाठक, मृदुला मिश्रा, बलदेव यादव, जानकी यादव, पप्पू बाबा, मुकेश पाठक, शांति देवी, डोमन राम, शंभू गिरी, नीतू गोस्वामी, जानकी यादव, रानी मिश्रा, दिलीप मांझी, सुरेंद्र पासवान, देवकी यादव, कौवा पासवान, पुन पासवान, प्रमोद विश्वकर्मा, राम भजन दास, देव कुमार ठाकुर, अच्युत अनंत मराठे, पवन मिश्रा, रंजीत पाठक, इत्यादि उल्लेखनीय हैं।
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