शहर में लाशें तो मिलती हैं अनगिनत लेकिन……..

प्रो. मनोज कुमार मिश्र”पद्मनाभ”
शहर में लाशें तो मिलती हैं
अनगिनत लेकिन
कातिल का पता नहीं होता
प्रशासन ढूँढ लेता है
हर इक लाश को
पर अपराधी पकड़ में नहीं आते
भाग जाते हैं अपने काम को अंजाम देकर
पुलिस के आते आते
हर चौक चौराहे पर लगा है कैमरा
भागते फिरते चेहरे को
कैद करने के लिये
लेकिन मुश्किल है पहचान
नकाबपोश की
आखिर सरकार भी क्या करे
इनका चारा पानी भी तो देखना है।।
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